एक तो लगातार बढ़ती गर्मी औऱ ऊपर से पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव की तपिश नेता बेचारे करें तो क्या, दिमाग गरम होना तो लाजमी ही है। सो इसका असर भी दिख रहा है, अब चुनाव में मुद्दों की कोई जगह नहीं बची है। मुझे याद हैकि पहले हमारे गांवों में नटों की टोली आया करती थी अपने करतब दिखाने और नाच गाकर वो उसके बदले कुछ पैसे ले जायाकरते थे। कुछ ऐसा ही हाल आजकल नेताओं का भी है। एक दूसरे को कौन कितना नीचा दिखा सकता है इसकी होड़ मची है। पहली लड़ाई की बात करते हैं जो पीएम इन वेटिंग और पीएम इन सिटिंग के बीच जारी है। अगर हम हिंदू धर्म की मानें तो अस्सी साल की उम्र में संन्यास ले लेना चाहिए लेकिन बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी जी की तीव्र लालसा है कि इस बार तो प्रधानमंत्री की गद्दी नसीब हो ही जाए। अबइसके लिए आडवाणी जी ने हर चोला पहन लिया है। वो अब मंदिर नहीं धर्म निरपेक्षता की बात करते हैं। खैर जो भी हो आडवाणीजी लगातार चुनौती दे रहे हैं मनमोहन सिंह जी कोवो उनसे बहस करें, आडवाणीजी बहस उनसे क्या करना जनता से कीजिए कि वो आपकों क्यों चुने और फिर आप ये क्यों भूल जाते हैं कि बहस करते समय हर वक्त मैडम से पूछते थोड़े ही रहेंगे।जब से चुनावी तमाशे की शुरुआत हुई है आडवाणी जीकहते हैं कि मनमोहन जी अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री हैं। ये गलत है, एक मनमोहनजी दिल के कमजोर हैं ऐसा कहकर आप उनका दिल दुखाते हैं आपको इसका लिहाज करना चाहिए। जाहिर वो गुस्से में आकर आपको भी कुछ कहेंगे। ऐसा हो रहा है। यहां तक कि एक कायर्क्रम में उन्होंने आडवाणीजी के नमस्कार का जवाब तक नहीं दिया। ये तो पहली लड़ाई थी। आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी हैं। बीजेपी के ही फायरब्रांड नेता नरेंद्र मोदी लगातार टारगेट करते हैं कांग्रेस पर। कभी उसे बुढ़िया कहते हैं कभी गुड़िया। मोदीजी लच्छेदार शब्दों से ऊपर उठिए बेहतर होता अपने दाग धो लेते।अब बात मैडम की, मैडम सोनिया गांधी, इनके पास कहने को केवल एक ही बातहै, एनडीए को अपना दामन देखना चाहिए, उनके समय में सबसे ज्यादा आतंकवादी हमले हुए हमारे टाइम में कम। मैडम एक बात मैं आपको बता शायद आपको पता हो पिछले एक साल में इराक के बाद बारत ही ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा आतंकवादी हमले हुए। अब बारी कांग्रेस के युवराज की, जनाब राहुल गांधी के पास कहने को केवल एक चीज है,तकरीबन हर पंद्रह दिन बाद वो अपने पिता को याद करते हैं और कहते हैं कि भारत में एक रुपए में से नब्बे पैसा करप्शन की भेंट चढ़ जाता है। हुजूर अगर आपको पता है तो कोशिश ये करिए ये सही लोगों तक पहुंचे। इसी खानदान के एक और लाडलेकी बात करते हैं। जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था। वो हैं संजय गांधी के सुपुत्र वरुण गांधी। यही उनकी पहचान थी हालांकि अब उन्होंने अपनी पहचान बना ली है। एक सेक्युलर देश में एक विशेष संप्रदाय के खिलाफ आग उगल कर। इसके अलावा और भी राजनीतिज्ञ हैं जो जुबान से लगातार ज़हर उगल रहे हैं उनका जिक्र करना ही जरुरी नहीं समझता। हां लालू जी को याद करते हैं वो तो काफी फेमस हैं। आजकल लालू का मैनेजमेंट हवा हो गया है उन्हें समझ नहीं आता कि सीटें कैसे पाएं। उनकी लालटेन लपलपा रही है।उन्हें चिंता है कि कहीं बुझ गई तो ऐसे मैं पत्नी राबड़ी ने और मुसीबत खड़ी कर दी है, जो हर समय नीतीश कुमार पर तीर कमान साधे हैं और नीतीश उन पर। तो ये है इस बार का चुनाव। ऐसा पहले कभी आपने देखा था। क्या इन नेताओं को विदर्भ में मरते किसान याद हैं। पिछले साल बिहार में इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ आई क्या वो करोड़ों लोग याद इन नेताओं को याद हैं जो करोड़ों लोग इसमें बर्बाद हो गए, नहीं इन्हें तभी याद आता है जब उसे भुनाकर वोट लेना हो। एक गुजारिश है माननीयनेताओं से कम से कम सार्वजनिक मंच का तो खयाल करिए ओछी बातें तो ना बोलिए। लेकिन ये कहां मानने वाले, अभी पिक्चर आधे पे पहुंची है। आगे आगे देखिए होता है क्या।
Wednesday, April 22, 2009
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