Saturday, March 8, 2008

राष्ट्रीय खेल क्रिकेट है.....

हिंदुस्तान का राष्ट्रीय खेल अब हॉकी नहीं क्रिकेट होना चाहिए। जिस तरह से क्रिकेट को तवज्जो मिल रही है ये इस बात के लिए पुख्ता पैमाना है. ये अच्छी बात है कि इंडियन टीम ने 23 सालों बाद ऑस्ट्रेलिया को हराकर वनडे सीरीज़ जीती है लेकिन ऐसा नहीं कि हमने विश्व कप जीत लिया, जिस तरह से हिंदुस्तानी मीडिया ने इस श्रृंखला को कवरेज दी है क्या हॉकी इसके लायक नहीं,
हॉकी टीम भी ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में आगे बढ़ रही है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसी कोई खबर नहीं, यहां तो अखंड क्रिकेट पाठ चल रहा है, चलिए श्रृंखला जीती तो खुशी है कवर करिए, लेकिन उसके बाद का हंगामा देखिए ,चैनल खिलाड़ियों की शादी करा रहे हैं... किसका क्या हेयर स्टाइल है.. इसकी गाथा चल रही है... लेकिन क्या हो यही सब बिकता है हॉकी का बाज़ार ऐसा नहीं जहां करोड़ों की आमदनी होती है, इसलिए हॉकी दीनहीन है.... हॉकी तू राष्ट्रीय खेल के लायक नहीं ये ओहदा छोड़ दे..........

2 comments:

Satyendra Prasad Srivastava said...

अच्छा मुद्दा उठाया है।

Manjit Thakur said...

हॉकी दीन हीन इसलिए है क्योंकि उसने जीतने की आदत को छोड़ दि.या है। राजनीति करो न भाई..रोकता कौन है? क्रिके‍ट की तरह करो.. जम के। लेकिन येन-केन प्रकारेण जीतो तो..