Monday, October 13, 2008

धमाकें होते रहें तो अच्छा


पिछले दिनों आतंकवाद को लेकर पूरे देश में तमाम हलचल रही, अब मामला कुछ ठंडा हो रहा है। उसकी तो वजह थी हर जगह बम जो बरस रहे थे, खुफिया एजेंसियां औऱ सरकार नाकाम, लेकिन
बयान देने में सबसे आगे, गृह मंत्री जी तो केवल एक ही बयान बार-बार देते, जैसे लगता शपथ ग्रहण
के समय ही उसे अपने पीए टाइप करा लिया हो, इस दौरान मीडिया वालों ने उनकी जमकर खबर ली,
लेकिन महरौली ब्लास्ट के बाद वो डरकर नहीं बोले, सोचा कहीं कुर्सी न चली जाए। इसके अलावा
हर जगह बस इसी पर बहस, कभी फेडरल एजेंसी की बात तो कभी किसी सख्त कानून की मांग
फिलहाल ये मुद्दे नरम हैं अब ये गरम तभी होंगे जब तक अगला ब्लास्ट ना हो जाए। वो दिन भी
दूर नहीं कभी भी ऐसा हो सकता है, हमें तो आदत सी पड़ गई है, जनता तो मरने के लिए है ही, सियासतदानों की मौज है उनकी दुकान जो चलती है....


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